छोटे कारोबारियों के लिए हरियाणा में बड़ी मददगार साबित हुई PM Mudra योजना, जानें कैसे उठा रहे हैं लाभ
छोटे कारोबारियों के लिए हरियाणा में बड़ी मददगार साबित हुई PM Mudra योजना, जानें कैसे उठा रहे हैं लाभ
चंडीगढ़। हरियाणा में अपना खुद का नया रोजगार शुरू करने वाले तथा छोटे कारोबारियों के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) बड़ी मददगार साबित हो रही है। प्रदेश सरकार ने राज्य में सात साल के भीतर करीब 22 लाख लोगों को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज दिलाए हैं।
हरियाणा में 22 लाख से अधिक लोगों को मिले 15 हजार करोड़ रुपये के मुद्रा लोन
कर्ज की इस राशि से नए स्टार्टअप युवाओं को अपना खुद का बिजनेस खड़ा करने में तो मदद मिली ही, साथ ही पहले से अपना काम-धंधा कर रहे लोगों के लिए पूंजी की समस्या का समाधान भी हुआ है। हालांकि बैंकों द्वारा कर्ज दिए जाने के वक्त जरूर नए स्टार्टअप को बैंक अधिकारियों की बाबूगिरी का सामना करना पड़ता है।
आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर हरियाणा का लक्ष्य लेकर चल रही सरकार
आत्मनिर्भर भारत की तरह आत्मनिर्भर हरियाणा पर अपना फोकस बनाकर चल रही भाजपा सरकार ने इस बार नाबार्ड के जरिए एक लाख 61 हजार 167 करोड़ रुपये के कर्ज देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। विभिन्न बैंकों के जरिए दी जाने वाली कर्ज की यह राशि अलग-अलग योजनाओं में वितरित होगी।
हाल ही में हुई नाबार्ड की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बैंक अधिकारियों से साफ कहा है कि वह जरूरतमंद लोगों को पहचानें और उन्हें अपना खुद का कारोबार चलाने के लिए लोन देने में किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न न होने दें।
हरियाणा में 31 मार्च 2022 तक 22 लाख 61 हजार 130 लोगों को मुद्रा योजना के तहत लोन बांटा गया है। कामर्शियल बैंक, स्माल फाइनेंस बैंक, नान बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की ओर से अपने बैंकों में इतने खाते खोले गए हैं। मुद्रा योजना के अंतर्गत तीन प्रकार के लोन प्रदान किए जाते हैं, जो कि शिशु, किशोर एवं तरुण लोन कहलाते हैं।
शिशु लोन के अंतर्गत पांच लाख तक और तरुण लोन के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है। वित्त मंत्री के नाते इस बार के बजट में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी स्वरोजगार को बढ़ावा देने पर फोकस किया है, जिसके आधार पर नाबार्ड ने अधिक से अधिक लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाएं तैयार की हैं।
फरीदाबाद निवासी श्याम किशोर शर्मा ने गैस रेगुलेटर बनाने के लिए केनरा बैंक से पांच लाख रुपये का मुद्रा लोन लिया था। आज वह बड़ी कंपनियों को गैस रेगुलेटर की सप्लाई करता है। हिसार के मंगाली गांव के किसान रामभगत पुनिया को जब खेती में अधिक लाभ नहीं हुआ तो उन्होंने पशुओं का फीड बनाने के लिए प्रोजेक्ट लगाया।आज इस किसान की ओजस के नाम से कंपनी है और वह कई लोगों को रोजगार दे रहा है।
इसी तरह, कुरुक्षेत्र के इरफान खान व रिजवान खान ने मुद्रा लोन के जरिए अपनी बारबर एकेडमी बनाई। इससे न केवल उनका काम चल पड़ा, बल्कि नए युवाओं को बारबार का काम सिखाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया जा रहा है।